आजकल
गोडसे के लोग
फुलवारी में फिर उतरने लगे हैं
सब कुछ चर जाना
चाहते हैं
तालाबों को कीचड़ में तब्दील कर
कमल खिलाना
चाहते हैं
वे चाहते हैं
फुलवारी में सिर्फ़ एक रंग
का फ़ुल ही खिले
वे हुंकार भरते हैं
ताकि इस हुंकार से
सच दुबक जाए
पर यह कभी न हो सका है
नफ़रतों की हवा में कोई
नहीं जी सकता
प्यार और अहिंसा ही
जीवन का आधार है
इसलिए बापू से
पुरे मानव समाज को
प्यार है
- कौशल तिवारी
गोडसे के लोग
फुलवारी में फिर उतरने लगे हैं
सब कुछ चर जाना
चाहते हैं
तालाबों को कीचड़ में तब्दील कर
कमल खिलाना
चाहते हैं
वे चाहते हैं
फुलवारी में सिर्फ़ एक रंग
का फ़ुल ही खिले
वे हुंकार भरते हैं
ताकि इस हुंकार से
सच दुबक जाए
पर यह कभी न हो सका है
नफ़रतों की हवा में कोई
नहीं जी सकता
प्यार और अहिंसा ही
जीवन का आधार है
इसलिए बापू से
पुरे मानव समाज को
प्यार है
- कौशल तिवारी